मानसिक परेशानियों के बावजूद डटी रही ‘निर्भया’

किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।किसी भी मामले में आरोपियों को सजा दिलवाना आसान नहीं होता है। और मामला यदि सत्ता पक्ष के नेताओं से जुड़ा हो तो मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं। पीड़ित पक्ष महिला और आर्थिक रूप से कमजोर हो तो न्याय की राह और कठिन हो जाती है।

लेकिन एक गरीब की बेटी ने रेप के मामले में तमाम धमकियों और पैसों के लालच के आगे घुटने टेकने के बजाए दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर ही दम लिया।

पढ़ें, गैंगरेप में दोषी साबित हुए पूर्व बीजेपी नेता

देहरादून ‌स्थित सचिवालय में नौकरी का झांसा देकर छात्रा का अपहरण कर सामूहिक बलात्कार के मामले में पूर्व भाजपा नेता प्रमोद कुमार गुप्ता को कोर्ट ने बलात्कार का दोषी माना है। प्रमोद को अपहरण और एससी-एसटी एक्ट में भी दोषी पाया गया है।

अदालत ने मामले के सूत्रधार पूर्व भाजपा नेता अशोक कुमार को भी दोषी करार दिया। दोनों को कोर्ट के आदेश के बाद तत्काल न्यायिक हिरासत में ले लिया गया। अदालत दोषियों को सजा बृहस्पतिवार को सुनाएगी।

सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए
सामूहिक बलात्कार की पीड़िता मामले में सूत्रधार की भूमिका निभाने वाले अपने रिश्ते के भाई अशोक को ही पहचानती थी। लेकिन पुलिस जांच में जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ा सत्ता पक्ष के बड़े नेताओं के नाम जुड़ते गए। बड़े नाम सामने आते तो पुलिस और पीड़िता पर दबाव बढ़ता जाता। जांच आगे बढ़ती तो दबाव और तेज हो जाता है।

पीड़िता को पहले तो तरह-तरह के प्रलोभन दिए गए। जब उसने प्रलोभनों को स्वीकार नहीं किया तो बदनाम करने और जान से मारने की धमकी दी गई। यही नहीं, उसे और भी कई तरीकों से परेशान किया गया।

तमाम मानसिक और आर्थिक परेशानियों के बावजूद पीड़िता और उसके परिवार ने हार नहीं मानी। आज भले ही तीन अन्य आरोपी सजा नहीं पा सके, मगर दो आरोपियों को सजा मिलनी तय हो चुकी है। यह सब पीड़िता के साहस से ही संभव हो पाया है।

मुझे गर्व है अपनी बेटी पर
अदालत में मौजूद पीड़िता के पिता ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। उसने मामले को अंजाम तक पहुंचाने में बहुत हिम्मत दिखाई है। उसकी बहादुरी की वजह से ही दोषियों को सजा मिलने जा रही है। कहा कि वह खुश हैं कि दोषियों को सजा मिलेगी।

उम्मीद करता हूं कि अदालत उन्हें कठोर सजा देगी। ऐसे लोगों पर रहम नहीं किया जाना चाहिए। सजा ऐसी मिले कि और लोग इससे सबक लें और ऐसी घिनौनी हरकत करने से डरें। पीड़िता तीन भाई बहनों में सबसे बड़ी है। उसकी मां नहीं है। उसका विवाह हो चुका है।

अशोक को गोद में ले गई पुलिस
मामले में दोषी जिसे पीड़िता भाई कहती थी, विकलांग है। वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता। फैसला आने के बाद पुलिस कोर्ट से उसे गोद में उठाकर परिसर से बाहर ले गई।

लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई
बहादुर बेटी ने तीन दिन पहले ही एक बेटे को जन्म दिया है। वह इस समय एक निजी अस्पताल में भर्ती है। बुधवार को अदालत का फैसला आते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी। आईसीयू में भर्ती बिटिया ने अपने एक रिकार्ड किए हुए संदेश में कहा है कि इस फैसले से वह खुश है, लेकिन उसकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

मामले के तीन अन्य आरोपी जब तक कानून के घेरे में नहीं आ जाते उसकी लड़ाई जारी रहेगी। कहा कि किसी भी पीड़ित महिला को कानून पर विश्वास करते हुए सब्र बनाए रखना चाहिए।

किड़नी में है इंफेक्शन
नौकरी दिलाने के नाम पर आरोपियों ने युवती से 60 दिनों तक दुराचार करते रहे। इस वजह से उसकी किड़नी डैमेज हो गई हैं। अब जब उसने एक बेटे को जन्म दिया तो उसकी किडनी में इस वजह से इंफेक्शन हो गया है।

सूत्रों की मानें तो पूर्व में कोर्ट में सुनवाई के लिए पहुंची बहादुर बेटी को आरोपियों ने अदालत के बाहर दौड़ा लिया था। भागते समय गिरने से उसका हाथ टूट गया था।

करना पड़ा लंबा इंतजार
गैंग रेप की पीड़िता को न्याय के लिए पांच साल तक इंतजार करना पड़ा। खुद पीड़िता और उसके पिता न्याय के लिए अदालत का चक्कर काटते रहे। फैसला आने के बाद पीड़िता के पिता ने अमर उजाला को बताया कि अदालत में मुकदमा चलते हुए कई क्षण ऐसे आए जब वे निराश हो चुके थे।

कानून की पढ़ाई कर रही पीड़ित
पीड़ित छात्रा कानून की पढ़ाई कर रही है। वे चाहती है कि पढ़ाई पूरी कर वे अपनी तरह पीड़ित महिलाओं की मदद कर सके। वे बीएएलएलबी में छह सेमेस्टर की पढ़ाई पूरी कर चुकी है। हालांकि इस वर्ष उसने किन्हीं कारणों से ड्रॉप किया है।

बेटी को जज बनाना चाहते हैं पिता
पीडित युवती के पिता अपनी बेटी को कानून की पढ़ाई कराकर जज बनाना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि उनकी बेटी कानून की पढ़ाई पूरी कर दून कोर्ट में जज बने और इस तरह के मामले में तेजी से न्याय करे।

तीन अन्य पर हाथ डालने से बच रही पुलिस
राजपुर रोड के एक रिजॉर्ट में छात्रा के साथ पूर्व भाजपा नेता के अलावा तीन अन्य लोगों पर बलात्कार का आरोप है, पुलिस ने इस मामले में तीन अन्य अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया है, लेकिन ये तीन कौन हैं पुलिस इस मामले से वर्षों बाद भी पर्दा नहीं उठा सकी है।

समाधान एनजीओ की संचालिका रेण डी सिंह बताती है कि बलात्कार करने वाले जिन तीन लोगों के खिलाफ पुलिस ने अज्ञात बताकर मामला दर्ज किया है। वे पार्टी के इससे भी बड़े नेता है, पुलिस और प्रशासन उनके बारे में सब जानती है, इसके बावजूद आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई से बच रही है।

रिश्ते का भाई है गैंग रेप कांड का सूत्रधार
नौकरी का झांसा देकर युवती को प्रमोद कुमार के हवाले करने वाला अशोक कुमार कोई और नहीं बल्कि पीड़िता के रिश्ते का भाई है। 19 अप्रैल को उसने फोन कर पीड़िता के पिता को बताया कि वे उसकी बेटी की सचिवालय में नौकरी लगा देगा। अशोक पर विश्वास कर उसके पिता युवती को अशोक के घर छोड़ आए।

घर से अशोक युवती को अपने तिपहियां वाहन में बैठाकर उसे सहारनपुर चौक ले गया। चौक में पहले से प्रमोद उनका इंतजार कर रहा था। अशोक ने युवती को प्रमोद की कार में बैठा दिया। बलात्कारी प्रमोद युवती को रिजॉर्ट तक ले जाने के दौरान पूरे रास्ते पीड़िता को बेटी कहकर पुकारता रहा।

Related posts